मेरे सपनों का भारत
(शाब्दी सिंह, आठवीं “क” दिल्ली पब्लिक स्कूल, बोपल, अहमदाबाद)
इस सौर मंडल में अनेक ग्रह हैं। इनमें से एक ग्रह पृथ्वी है और इस
विशाल पृथ्वी में एक छोटा-सा देश है – “भारत”। यह शब्द तो केवल तीन अक्षरों का है
परंतु यहाँ रहने वाले १३५ करोड़ देश्वासियों के लिए इस शब्द की बहुत अहमियत है। इस
देश में गरीबों की संख्या बहुत ही ज्यादा है, परंतु एक ऐसा भी क्षण था जब यह देश “सोने की
चिड़िया” कहलाता था। अंग्रेजों तथा कुछ मुगलों ने भारत की अनेक संपत्तियों को हमसे
छीन लिया था। इसके कारण भारत को खाने-पीने जैसी मामूली चीजों के लिए जूझना पड़ा था।
अयं निजः परो
वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदाचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥
यह श्लोक संस्कृत में बहुत प्रसिद्ध है। इसका
मतलब यह है - यह तेरा है, यह मेरा है,ऐसा छोटे मन वाले लोग सोचते हैं, परंतु दयालु लोग पूरी पृथ्वी को अपना परिवार
समझते हैं। भारत अनेक जातियों के समूह का प्रतीक है। यहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई आदि रहते तो हैं, किंतु यह कहना कठिन है कि सभी लोग
मिल-जुल कर रहते हैं। जब तक सभी लोग मिलकर रहना नहीं सीखेंगे, तब तक हमारे देश का विकास मुश्किल है।
हमारे देश को आजाद हुए तकरीबन ७२ साल हो चुके हैं, परंतु अब तक लोगों के मन में स्वावलम्बन की
भावना का विकास नहीं हुआ है। अभी भी देश के कई हिस्सों में बालिकाओं को बालकों की
अपेक्षा निर्बल श्रेणी में डाला हुआ है। लोगों की इसी दिव्यांग सोच के कारण सैंकड़ों
होनहार और योग्य बेटियों को अपनी योग्यता दिखाने का अवसर प्राप्त नहीं हो रहा है।
गरीबी राजनीति का पसंदीदा हथियार है जिसके कारण
कई राजनेता सत्ता हासिल करते हैं। “गरीबी हटाओ” के नारों ने वोट तो बटोरे
हैं लेकिन गरीबी हटाने के लिए कोई काम
नहीं हुआ है। राजनीति में आरक्षण होना बिल्कुल गलत है। इसके कारण कई योग्य लोगों
को मौका नहीं मिल पाता। इसके चलते सक्षम लोग विदेश में जाकर अपनी काबिलियत की वजह
से ऊँचे पद हासिल कर लेते हैं।
एक ऐसा देश जिसका नाम पूरी दुनिया में अव्वल हो और जिसके आस-पास के
अलगाववादी तथा दिव्यांग मन वाले देश आँख दिखाने से पहले भी १०० बार
सोचें। धरती का एक ऐसा कोना जहाँ दुनिया भर के लोग बसना चाहते हों, और जहाँ सभी लोग मिल-जुल कर रहें। एक ऐसी जगह जहाँ बेटियाँ बेटों से कंधे
मिलाकर चलें और जहाँ नेता लोगों के विश्वास से साथ न खेलें तथा योग्य लोगों को
अपनी योग्यता दिखाने का अवसर प्राप्त हो। एक ऐसा स्थान जहाँ सम्मान के साथ जीए और
एक भी व्यक्ति भूखा न सोए। यही है मेरे सपनों का जन्नत, यही
है मेरे सपनों का भारत !!
No comments:
Post a Comment